BarterWATER MIssion Launched at UN 2023 Water Conference
पानी
बावनी
नीर गुण भजन मनोज भज,
जल बिनु कसहि पख़ारि !
मुरझऊँ तरुवर खिलत जसु,
जो डालतु जल वारि!!
शुद्धिहीन तनु मानिके,
बरसो जलद कुमार!
तुष्टि शुद्धि पोषण देहु मोहि,
हरहु समस्त विकार!!
सुन पानी की एक़ कहानी
बिन पानी है व्यर्थ जवानी
नानी की बगिया ना होती
पानी बिन दुनिया ना होती
पानी का हर भाव सरल है
रूप अनेकों मूल तरल है
ठंड लगे तो जुड़ जाता है
आग लगे तो उड़ जाता है
जितना जल था शुरुआत में
अब भी उतना पूर्ण साथ में
बूँद बराबर नष्ट न होता
निर्जल जैसा कष्ट न होता
खाकर पीना बात गलत है
पीकर खाना अच्छी लत है
नीर सारिणी हो यदि पूरी
रोग व्यधि से रहती दूरी
जल से जीवन का हर पल है
जीवन का आधार सजल है
जल संचय पर देना बल है
सही बात जल है तो कल है
जल है शाश्वत और सनातन
जल में पले बढ़े यह तन मन
मत समझो यह काया नश्वर
तीन भाग तो जल अनश्वर
अस्सी प्रतिशत बुद्ध भी जल थे
मौन भी जल थे क्रूद्ध भी जल थे,
बूंद बूँद वे यहीं पे निश्चित,
ढूँढ सके वही योगी किंचित
था और होगा हवा व पानी
सिर्फ़ बुलबुला जीवन प्राणी
पानी का सब झाग बबूला,
क्यूँ होता फिर आग बबूला
उदर-उदक में जीवन जन्मा
तब रिश्तों का नाता पनपा
रिश्ते-नाते सभी अम्भ से
खंडित होते मगर दम्भ से
मैं पानी की पीर सुनाता
नद, वारिद की पीड़ा गाता
मत अमृत का नाश करो तुम,
मेघपुष्प का भान धरो तुम
मछली, मछली जल की रानी,
कहते उसको हम सब ज्ञानी,
पानी बिन ज़ब जिए न चिड़ियाँ
कहो उसे भी ‘जल की गुड़िया’
नमी नहीं तो जलता जंगल
आर्द्र धरा पर पलता मंगल
खोज रहे चंदा पर पानी
अजब कहानी गजब कहानी
सत्ता पानी का कर सौदा,
हल मुश्किल का झूठा वादा
नई आफ़त को सींच रहा हैं,
जल पे लकीरें खींच रहा है
भाग रहे सब छोड़ के गाँव
वृक्ष बिना ना मिलती छांव
जल बिन पेड़ की पुष्टि कहाँ है?
वन बिन वृष्टि की सृष्टि कहाँ है?
गया आज जो प्लास्टिक अंदर
उगलेगा कल उसे समंदर
माइक्रो-प्लास्टिक लेट न होगा,
नेक्स्ट पीढ़ी की प्लेट में होगा
बच्चों की मुस्कान जो प्यारी
अभी वारि से कर ले यारी
जल हो, पय की लाज बचाओ,
कल के जन को आज बचाओ
नदी किनारे लगा के वाहन,
बहा रहे जो पूरे दूषण,
ऐसे लोगों से द्वन्द करो,
हुक्का पानी भी बंद करो
अंतिम युद्ध का कारण जल है
जल संकट का कारण मल है
मल से जल को मुक्त कराओ
यही धर्म सब ओर बढ़ाओ
ज़्यादा जल में मल ना जाए
हिमनद और पिघल ना पाए
यही गीत हर दिन है गाना
अलख यही हर ओर जगाना
राम लिखो तो तैरें पत्थर
जटा में लेके भोले शंकर
जल का जलवा दिखा रहे हैं
जल की महता बता रहे हैं
जो यह पढ़े पानी चौपाई
ईश्वर उनकी करें भलाई
गाए जो ये पानी बावनी
पार जाएगा वो बैतरणी
इंद्र-धनुष की छाँह में आ,
वारा-वारि की बाँह में आ,
पानी से संसार सबल हो,
विनिमय का आधार ही जल हो
रोम रोम पानी बसे, जीवन जल का प्रवास!
शुद्ध, स्वच्छ, स्वस्थ जल, हर घर का हो प्रयास !!